Trekking meaning in hindi – ट्रैकिंग एक प्रकार के मनोरंजन के अंतर्गत ही आता है जिसमे जाने वाले को अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है. वास्तविक रूप से ट्रैकिंग का अर्थ है लंबी-लंबी दूरी की पैदल यात्रा करना. अर्थात ट्रैकिंग में जाने वाले व्यक्ति को लंबी दूरी की पैदल यात्रा करनी होती है जिसमे 02 दिन से लेकर 1 महीने तक का समय लग जाता है. इन ट्रैक्स के दौरान बड़े-बड़े विशाल पर्वतों पर चढ़ना, दुर्गम पहाड़ियाँ, हिम ग्लेशियर व नदी व नालो को रस्सी व् अन्य साधनों द्वारा पार करना होता है व किसी शांत व प्राकृतिक सौंदर्य से हरी भरी जगह पर टेंट आदि लगाकर रहना होता है.
ट्रैकिंग पर जाने के लिए व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक रूप से मजबूत होना जरूरी होता है क्योंकि हिमालय पर्वतों व उच्च ऊंचाई पर जाने में ऑक्सीज़न की कमी व अन्य दिक्कते महसूस होने लगती है जिस कारण मनुष्य की शारीरिक व मानसिक मजबूती की आवश्यक्ता होती है. अन्यथा ऊपरी वातावरण में कोई आवाजाही व मेडिकल का उचित प्रबन्ध न होने के कारण ट्रैकिंग पर जाने वालो के लिए जान का जोखिम भी हो सकता है.
ऊंचाई वाले कुछ ट्रैक्स ऐसे होते है जिस पर जाने में मनुष्य को अधिक परिश्रम की आवश्यक्ता नहीं होती है तथा व्यक्ति आसानी से इस ट्रैक्स पर आ-जा सकता है. ये ट्रैक मुख्यतः 1 दिन से 7 दिन की अवधि तक के होते है जो छोटे ट्रैक्स की श्रेणी में आते है. परन्तु कुछ ट्रैक्स काफी कठिन, दुर्गम तथा उच्च ऊंचाई वाले होते है जिस पर मनुष्य बिना किसी ट्रैंनिंग वगैरह के नहीं जा सकता, अपितु इन ट्रैक्स पर जाने के लिए व्यक्तियों को ख़ास प्रकार की ट्रैंनिंग की आवश्यक्ता होती है जो लगभग 1 माह तक की हो सकती है. उच्च हिमालयी क्षेत्र व दुर्गम पहाड़ियों पर बिना किसी ट्रैंनिंग के जाना ट्रैकर्स के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है. इस कारण व्यक्तियों को इन ट्रैक्स पर जाने हेतु ट्रेंनिंग की परम आवस्यकता होती है.
इन ट्रैक्स पर जाकर व्यक्ति को असीम आनंद की प्राप्ति होने के साथ साथ प्रकर्ति व पहाड़ो के बीच कुछ दिन रहने का भी अवसर मिलता है. जहाँ पर व्यक्ति बिना किसी शोर-शराबे के कुछ दिन प्रकर्ति के बीच शान्ति में बिता सकता है. पर्वतो व हिमालय की उच्च चोटियों में मनुष्य ईश्वर द्धारा प्रदान की गई प्राकर्तिक खूबसूरती तथा बर्फ से ढके पहाड़ो के साथ ही सूर्योदय का भी आनंद ले सकता है. प्रातः काल की पहली रोशनी जब इन बर्फ ढके पहाड़ो के बीच गिरती है तो ये पहाड़ ऐसे दिखाई देते है मानो किसी ने इन पहाड़ो पर सोना बिखेर दिया हो. ये खूबसूरत पहाड़ उस समय सोने की तरह चमकने लगते है, जिनकी खूबसूरती ट्रैकर्स को भी मन्त्रमुघ्द कर देती है.
ट्रैकिंग को मुख्यतः दो प्रकार से बाटा जा सकता है जिसमे (types of trekking)
- एक को टी हॉउस ट्रैकिंग या लॉज ट्रैकिंग
- दूसरे को कैम्पिंग ट्रैकिंग या आर्गनाइज्ड ट्रैकिंग
टी हॉउस ट्रैकिंग तथा लॉज ट्रैकिंग (Teahouse Trekking / Lodge Trekking):
टी हॉउस ट्रैकिंग एक प्रकार की आरामदायक ट्रैकिंग के अन्तर्गत आता है. इसमें ट्रैकर्स किसी जगह पर होटल, लॉज या प्राकर्तिक रूप से बनी हुई जगह आदि में रूक कर विश्राम कर सकता है व वहाँ के रहन-सहन के अनुसार वहाँ बने हुए मेनू के अनुसार भोजन इत्यादि भी कर सकता है. इस प्रकार की ट्रैकिंग में ट्रैकर्स की समय के साथ-साथ पैसो की भी काफी बचत होती है. इस प्रकार की ट्रैकिंग में आप अपने सामान को ले जाने के लिए कुली की भी व्यवस्था कर सकते है जो आपके सामान को आपके रहने की जगह तक ले जाने में मदद करता है.
इस प्रकार की ट्रैकिंग मुख्यतः हिमालय ट्रैकिंग के दौरान हर की दून, चन्द्रशिला ट्रैक, पिण्डारी ग्लेशियर, फूलो की घाटी, अन्नपूर्णा बेस कैंप और नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप में उपलब्ध है. वही होम स्टे भी इसी प्रकार की ट्रैकिंग के अंतर्गत आने वाला एक अन्य विकल्प है. होम स्टे के दौरान भी आपको टी हॉउस के समान ही सुविधाएं मिल जाती है. होम स्टे के दौरान आप जहाँ पर रुके हुए है वही से आपकी भोजन आदि की व्यवस्था हो जाती है.
कैम्पिंग ट्रैकिंग या आर्गनाइज्ड ट्रैकिंग (Camping Trekking / Full Organized Trekking):
यह ट्रैकिंग की मुख्य श्रेणी है इस प्रकार की ट्रैकिंग में जाते समय आपको सभी प्रकार की जरूरी चीजों को अपने साथ ले जाना होता है, जिसमे पोर्टर, गाइड, कुक के साथ साथ स्लीपिंग मैट, टेंट, स्लीपिंग बैग, किचन टेंट आदि चीजे साथ ले जानी होती है. इस प्रकार की ट्रैकिंग किसी अन्य प्रकार की ट्रैकिंग से महँगी पड़ती है क्योकि इसमें आपको सभी चीजों को खरीदने या किराये पर लेने की जरूरत होती है. इन चीजों में प्रयोग होने वाली चीजे भी काफी महंगी आती है परन्तु इस प्रकार के ट्रैक में ट्रैकर्स को काफी आनंद आता है तथा किसी भी प्रकार की भीड़ भाड़ से दूर एकांत में प्रकर्ति की खूबसूरत वादियों के बीच टेंट लगाकर रहने का भी अनुभव प्राप्त होता है.
भारत में ज्यादातर ट्रैक इसी श्रेणी में आते है जिस में आप दिन भर ट्रैक करते है तथा शाम के समय एक जगह रूककर कुली टेंट वगैरह लगाकर आपके लिए भोजन की व्यवस्था करते है. रात्रि विश्राम कर अगले दिन नाश्ता कर अपने ट्रैक की शुरुवात करते है. आप इन ट्रैक्स पर किये जाने वाले नाश्ता व भोजन को ट्रैक पर जाने से पूर्व ही तय कर सकते है व उनकी कच्ची सामग्री साथ में ले जा सकते है. इस प्रकार की कैम्पिंग ट्रैकिंग के अन्तर्गत पिन पार्वती ट्रैक, रूपिन पास ट्रैक, इंद्रहार ट्रैक जैसे ट्रैक आते है.
अब ट्रैकिंग पर ले जाने वाले समूहों ने दो अन्य प्रकार की ट्रैकिंग की श्रेणियाँ को इन में जोड़ दिया है जिस में लॉन्ग डेज ट्रैकिंग व शार्ट डेज ट्रैकिंग आते है. इन दोनों प्रकार की ट्रैकिंग में मुख्य अंतर समय की अवधि का रहता है.
7 दिन या उससे अधिक की ट्रैकिंग लॉन्ग डेज ट्रैकिंग के अंतर्गत आती है तथा 7 दिन से कम की ट्रैकिंग शार्ट डेज ट्रैकिंग के अंतर्गत आती है. इन दोनों प्रकार की ट्रैकिंग के बीच अन्य कोई विशेष अंतर नहीं होता है.